Radha Soami Dera Beas 29 June Bhandara 2025: सत्संग, सेवा और श्रद्धा का पर्व

राधा स्वामी डेरा ब्यास: 29 जून का भंडारा बना आस्था, सेवा और श्रद्धा का संगम

गर्मी की छुट्टियों के बीच जब ज़्यादातर लोग आराम या कहीं घूमने की प्लानिंग में होते हैं, तब एक जगह ऐसी भी है जहाँ लोग खुद को सेवा में झोंक देते हैं — डेरा ब्यास
इस बार 29 जून को जो भंडारा होने जा रहा है, वो सिर्फ एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं बल्कि हजारों दिलों की धड़कन बन चुका है।

🕘 सत्संग सुबह 8:30 बजे, लेकिन भीड़ उससे कहीं पहले

सत्संग का समय तो सुबह 8:30 रखा गया है, लेकिन संगत तो उससे पहले ही डेरा परिसर में जुटना शुरू कर देती है।
यहां आकर सिर्फ प्रवचन सुनना मकसद नहीं होता — लोग यहाँ की शांति, माहौल और ऊर्जा में डूबने आते हैं।

📅 सवाल-जवाब और कार दर्शन: जुड़ने का अनोखा तरीका

भंडारे से ठीक पहले शुक्रवार और शनिवार को संगत को एक और खास मौका मिलेगा — सवाल-जवाब का कार्यक्रम
जहां लोग अपने मन की बातें कर सकते हैं, और आध्यात्मिक मार्गदर्शन पा सकते हैं।
शनिवार को कार दर्शन भी कराए जाएंगे, जो डेरा आने वाले हर श्रद्धालु के लिए एक भावुक और खास अनुभव होता है।

🚶‍♂️ छुट्टियों का समय और एक ही भंडारा — बड़ी संख्या में संगत की उम्मीद

चूंकि पूरे जून में यही एक भंडारा है और स्कूलों की गर्मी की छुट्टियां भी चल रही हैं, ऐसे में पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और अन्य राज्यों से भारी संख्या में संगत के पहुँचने की संभावना है।
सेवा में लगे वालंटियर्स पूरे डेरा परिसर को व्यवस्थित और आरामदायक बनाने में लगे हुए हैं।

🩺 स्वास्थ्य को लेकर भी सतर्कता — कोविड को लेकर अपील

हाल ही में कुछ क्षेत्रों में कोविड के मामले सामने आए हैं।
इसलिए डेरा प्रशासन ने संगत से अपील की है कि स्वस्थ्य से समझौता न करें — मास्क का उपयोग करें, साफ-सफाई रखें और भीड़ में जरूरत के हिसाब से दूरी बनाए रखें।

🍛 सेवा का संगम — हर व्यवस्था का बेमिसाल संचालन

भोजन, पानी, पार्किंग, मेडिकल से लेकर सत्संग स्थल तक — हर चीज़ को सेवक पूरे समर्पण और अनुशासन से संभालते हैं
यहाँ सेवा कोई बोझ नहीं, बल्कि एक सौभाग्य माना जाता है।
कई लोग सिर्फ इस वजह से आते हैं कि कुछ दिन गुरु के दरबार में सेवा करके भीतर की शांति महसूस कर सकें।

🌸 डेरा ब्यास: जहाँ सिर्फ धर्म नहीं, अपनापन भी मिलता है

डेरा ब्यास उन जगहों में से है, जहाँ पहली बार आने वाला इंसान भी अपनेपन का एहसास करता है।
यहाँ की सादगी, सफाई और अनुशासन हर किसी को प्रभावित करता है।
29 जून का आयोजन, सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि उन हजारों लोगों के लिए एक आध्यात्मिक पर्व है जो पूरे साल इस दिन का इंतज़ार करते हैं।


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